महान फुटबॉलर और फर्स्ट क्लास क्रिकेटर भी खेलने वाले चुन्नी गोस्वामी का दिल का दौरा पड़ने की वजह से गरुवार को कोलकाता में निधन हो गया। गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 तक 50 मैच खेले। ऋषि कपूर के निधन से बॉलिवुड को झटका लगा था कि गुरुवार का दिन खेल की दुनिया के लिए भी एक दुखद खबर से बोझिल कर गया। क्रिकेट के माहिर और महान फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी का दिल का दौरा पड़ने की वजह से कोलकाता में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उन्होंने एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी और बेटा सुदिप्तो हैं।
गोस्वामी उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल थे, जिन्होंने अपने राज्य के लिए फुटबॉल और क्रिकेट दोनों में नुमाइंदगी की थी। गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान थे। बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे। उनकी दोनों खेलों पर जबरदस्त पकड़ थी। परिवार के कहा, ‘उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल में करीब पांच बजे उनका निधन हो गया।’
वह मधुमेह, प्रोस्ट्रेट और तंत्रिका तंत्र संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें रोज इंसुलिन लेना होता था और लॉकडाउन के कारण उनका मेडिकल सुपरवाइजर भी नियमित रूप से नहीं आ पाता था जिससे उनकी पत्नी बसंती उन्हें दवाई देती थीं। अविभाजित बंगाल के किशोरगंज जिले (मौजूदा बांग्लादेश) में जन्में गोस्वामी का असल नाम सुबीमल था लेकिन उन्हें उनके निकनेम से ही जाना जाता था।
गोस्वामी बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे। क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।
गोस्वामी, पी के बनर्जी और तुलसीदास बलराम भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम दौर की शानदार फॉरवर्ड पंक्ति का हिस्सा थे जब भारत एशिया में फुटबॉल की महाशक्ति था । गोस्वामी ने 1962 में एशिया के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर का पुरस्कार जीता था। उन्हें 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से नवाजा गया। भारतीय डाक विभाग ने जनवरी में उनके 82वें जन्मदिन पर भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान के लिए विशेष डाक टिकट जारी किया।